इस बड़बोले प्रधानमंत्री की वजह से आया पाकिस्तान के पास परमाणु बम

करीब 42 साल पहले पाकिस्तान के चापलूस सैनिक तानाशाह जिया उल हक और भारत के मुंहफट प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई की जोड़ी की वजह से विश्व विख्यात खुफिया एजेंसी रॉ को अपने तीन सौ से अधिक जासूसों और उनके खबरियों की जान से हाथ धोना पड़ा था। अगर ऐसा नहीं होता तो पाकिस्तान के पास आज अपना परमाणु बम नहीं होता।

हुआ यूं कि स्व मूत्रपान के शौकीन मोरारजी देसाई 1977 में भारत के प्रधानमंत्री बने थे और उसी दौर में पाकिस्तान में जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार को अपदस्थ कर सेनाध्यक्ष जनरल जिया उल हक देश के मुख्य मार्शल लॉ प्रशासक के पद पर बैठ गए थे। जिया हद दर्जे के चापलूस तथा मोरारजी की मुंहफट आदत की कोई सीमा नहीं थी। उसी दौर में पाकिस्तान काहूटा में परमाणु बम बनाने की फैक्ट्री लगा चुका था और भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ ने उसकी खबर प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को दी थी। इतना ही नहीं उसी समय इजराइल ने भारत को प्रस्ताव दिया कि अगर भारत उसके लड़ाकू विमानों को लौटते समय ईंधन लेने की सुविधा दे तो वह पाकिस्तान की काहूटा में बन रही परमाणु बम बनाने की फैक्ट्री को बमबारी कर तबाह करने को तैयार है।

रॉ के एक पूर्व अतिरिक्त निदेशक की पुस्तक के अनुसार जिया उल हक मोरारजी देसाई को प्रतिदिन टेलीफोन कर उनकी स्व मूत्रपान के जरिए शरीर को स्वस्थ रखने की चिकित्सा पद्धति की तारीफ पर तारीफ करते। इसके अलावा वे मोरारजी को दुनिया का महानतम नेता बताने से भी नहीं चूकते थे। पुस्तक के अनुसार जिया की तारीफ से मोरारजी फूले नहीं समाते और इसी झौंक में एक दिन उन्होंने जिया के सामने रॉ की उस रिपोर्ट का उल्लेख कर दिया जिसमें पाकिस्तान के काहूटा में परमाणु बम बनाने की कोशिशों का जिक्र था।

मोरारजी ने कहा कि भारत को मालूम है कि पाकिस्तान परमाणु बम बनाने की फिराक में हैं और काहूटा में इसका काम चल रहा है। बस फिर क्या था, जिया ने पूरे रॉ के पाकिस्तान में सक्रिय तमाम जासूसों को ढूंढ—ढूंढकर खत्म करने के साथ ही उनके खबरियों का कत्ल भी करवा दिया। इसके बाद रॉ पाकिस्तान में वैसा नेटवर्क आज तक खड़ा नहीं कर पाया है जैसा उस समय था। अगर प्रशंसा के भूखे मोरारजी जिया के जाल में नहीं फंसते तो पाकिस्तान के पास आज परमाणु बम नहीं होता।

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