अमृतसर : निरंकारी भवन पर हमले का आंखों देखा हाल

रिपोर्ट: परवीन कोमल 9876442643

निरंकारी भवन का सेवादार गगनदीप ही ऐसा शख्स है, जिसने आतंकवादियों को पहले देखा और उनके साथ करीब 15 मिनट बिताए। गगनदीप सिंह ने बताया कि हमलावर किस तरह आए और कैसे हाल के भीतर ग्रेनेड फेंका। गगनदीप ने बताया कि वह गेट पर सेवा के लिए खड़ा था। इस दौरान एक घड़ूका (सवारी ढोने वाला ऑटो) आया, जिसमें संगत बैठी हुई थी। इसी दौरान दो लोग बाइक पर आए। दोनों ने चेहरे पर कपड़ा लपेट रखा ता। उनमें से एक व्यक्ति संगत के साथ हाल में चल रहे सत्संग में चला गया जबकि दूसरा व्यक्ति उसके पास खड़ा हो गया।

गगनदीप ने बताया कि उस व्यक्ति ने अचानक पिस्टल निकाली और मेरी पीठ में सटा दी और पूछा कि भीतर क्या हो रहा है? मेरे साथ खड़ा दूसरा सेवादार बताने लगा कि अंदर सत्संग चल रहा है। गगन के मुताबिक पिस्टल वाला व्यक्ति उसे और उसके साथी सेवादार को टायलेट की तरफ ले गया। उसने स्कूटर स्टैंड पर खड़े सेवादार लखबीर सिंह को भी इशारा कर बुला लिया। इसी दौरान जो व्यक्ति संगत के साथ सत्संग हाल में गया था उसने भीतर ग्रेनेड फेंक दिया। धमाके की आवाज के बाद सत्संग स्थल पर भगदड़ मच गई और संगत जख्मियों को उठाने लगी।

गगनदीप ने बताया कि ग्रेनेड फेंकने के बाद सत्संग हाल में गया आतंकी तेजी ले भागता हुआ बाहर दरवाजे की तरफ आया। इसके बाद पिस्टल वाला आतंकी भी उसके पास पहुंचा और दोनों बाइक पर सवार होकर फरार हो गए। एक श्रद्धालु ने आतंकी को ईंट भी मारी, लेकिन तब तक दोनों दूर जा चुके थे। आतंकी करीब 15 मिनट तक सत्संग घर में रहे।
राजासांसी रोड पर गावं अदलीवाल लिंक रोड पर स्थित निरंकारी भवन में हुए हमले में घायल हरजोत सिंह ने बताया कि जब आतंकी भवन में घुसे, तब वह सत्संग कर रहा था। जैसे ही बम गिरा, उसने पीछे मुड़कर देखा। एक आतंकी उससे कुछ ही दूरी पर खड़ा था। लगा, उसने गुरु पर कोई पथर फेंका है। मैं उसे पकड़ने के लिए उठा कि धमाका हो गया। हरजोत सिंह का इलाज गुरुनानक देव अस्पताल में चल रहा है।

धमाके के बाद उसने देखा कि उसके पिता कुलदीप सिंह जख्मी हो गए हैं। उसके भाई आशु की टांगों से खून बह रहा था। मां और बहन सुरक्षित थीं। राजवंत कौर ने कहा कि उसे लगा कि किसी ने कोई बड़ा पत्थर मंच पर फेंका है। मैं सत्संग में पहली कतार में बैठी थी। पहले ऐसा लगा कि मुझे करंट लग रहा है। आसपास नजर गई तो कई श्रद्धालु खून से लथपथ दिखे। संगत बाहर दौड़ रही थी।

थोड़ी देर बाद एहसास हुआ कि मेरी टांगों से खून रिस रहा है। चेहरे पर हाथ लगाया तो लगा कि खून निकल रहा है। निर्मल कौर ने बताया कि धमाके की आवाज सुनकर उसका तो दिमाग ही सुन्न हो गया था। वह छेहरटा से सत्संग सुनने के लिए हर हफ्ते यहां आती हैं। राजप्रीत कौर के अनुसार उसका बेटा इस आतंकी हमले में बाल-बाल बच गया। वह सत्संग के बीच में ही उठ कर चला गया था। वह भी पहली पंक्ति में बैठा था।

भवन के बाहर खड़े सेवादार श्रद्धालुओं को भवन के भीतर जाने के लिए रास्ता बता रहे थे। एक घंटे के सत्संग के बाद दो नौजवान मोटर साइकिल से भवन के बाहर पहुंचे। सेवादारों ने हाथ जोड़कर उनका अभिनंदन किया। गर्म लोइयां लपेटे दोनों नौजवानों को मोटर साइकिल एक तरफ पार्किंग करने के लिए कहा गया। दोनों ने अपना मुंह लोई से ढका था।

अचानक एक युवक मोटर साइकिल से उतरा और उसने सेवादार की कमर पर पिस्तौल लगाकर उसे चुप रहने की धमकी दी। दूसरा आतंकी मोटर साइकिल से तेजी से नीचे उतरा और सत्संग भवन की तरफ दौड़ा। अंदर जाकर मंच पर सत्संग कर रहे देशा सिंह के पास खड़ा हो गया। इसके बाद उसने अपनी लोई में छिपाए हैंड ग्रेनेड की पिन निकाली और मंच पर ग्रेनेड फेंककर भाग गया।

बाहर सेवादारों पर पिस्तौल ताने खड़ा आतंकी धमाके के आवाज के साथ चौकन्ना हो गया। जैसे ही अंदर से आतंकी बाहर आया और दोनों बाइक पर बैठकर गांव अदलीवाल की तरफ भाग गए।

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