कछुआ भी शर्म से मर जाये अर्बन एस्टेट पुलिस की सुस्ती देखकर
अर्बन एस्टेट पुलिस कितनी फुर्तीली है और आम जनता के साथ स्कूलों द्वारा किए जा रहे अत्याचार के प्रति कितनी जागरूक है, इसका पता फेस टू में रहने वाले विद्यार्थी अभिजीत सिंह के साथ घटी घटना के बाद की गई घोंघा मार्का कार्रवाई से पता चलता है। अभिवावकों द्वारा बताई गई घटना के मुताबिक इस विद्यार्थी को स्कूल की प्रिंसिपल की एक नौकर के द्वारा स्कूल में मारा-पीटा जाता था और एक दिन उसे स्कूल बस के आगे धक्का दे दिया गया, जब उस बच्चे के अभिभावक शिकायत लेकर स्कूल में गए तो उनके साथ प्रिंसिपल और स्कूल क्लास टीचर के द्वारा दुर्व्यवहार किया गया। अभिवावकों का आरोप है कि इस बच्चे को अक्सर प्रताड़ित किया जाता था और क्लास के एक दो सीनियर बच्चों से भी प्रताड़ित करवाया जाता था। अभिभावकों का आरोप है कि उनका परिवार सिख धर्म से सबंधित है इसलिए उनका लड़का केस रखने के लिए अपने बाल बढ़ा रहा था लेकिन उसे अध्यापिका द्वारा बड़े बालों की वजह से कलगी वाला मुर्गा कहकर चिढ़ाया जाता था और जब उसके बारे में कई बार वह स्कूल प्रबंधक से मिले और कोई हल ना हुआ तो उन्होंने दिवाली के 2018 को थाना अर्बन स्टेट पुलिस में शिकायत दे दी जो कि थानेदार शीशपाल को मार्क हुई लेकिन मलाईदार मामलों में व्यस्तता के कारण उन्होंने इस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन इसके बाद स्कूल द्वारा शिकायत का पता चलने पर इस बच्चे को स्कूल में आने से मना कर दिया गया। लगातार मां बाप स्कूल के चक्कर काटते रहे लेकिन कोई हल ना निकला। एक दिन स्कूल के मैनेजर और प्रिंसिपल ने अभिभावकों को स्कूल में बुलाकर कहा कि ये बच्चा स्कूल में आएगा तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल की नहीं होगी। अब ना तो उस बच्चे को स्कूल में दाखिल किया जा रहा है और ना ही उस बच्चे को स्कूल का ट्रांसफर सर्टिफिकेट दिया जा रहा है जिससे चौथी क्लास में पढ़ने वाला मासूम बच्चा अपने भविष्य को लेकर डिप्रेशन में है और उसके अभिभावक इस स्थिति को लेकर असहाय अवस्था में तनाव की स्थिति से गुजर रहे हैं। सवाल पैदा यह होता है कि आखिर स्कूलों की मनमानी कब रुकेगी और क्या स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की नहीं ? और अगर कोई बच्चा सिख स्वरूप अपनाने के लिए बाल बढ़ाता है तो उसको मुर्गा मुर्गा कह कर प्रताड़ित करना किस हद तक ठीक है? भाई तरना दल के एडवाइजर भाई गुरमीत सिंह खालसा का कहना है कि इस मामले की शिकायत शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी को भी की जाएगी कि आखिर ऐसे स्कूलों में काम कर रहे टीचर सिख बनने के इच्छुक बच्चों को चिढ़ाकर मुर्गा मुर्गा कहकर सिखी के प्रति निरउत्साहित क्यों करते हैं। लोगों का कहना है कि अगर ऐसे मामलों में अभिभावक अपनी शिकायत पुलिस को देखते हैं तो दिवाली के नजदीक दी गई शिकायत का निपटारा होली बीत जाने के बाद भी ना करने वाले नकारा पुलिस कर्मियों के खिलाफ कौन कार्रवाई करेगा।