चीन में मुसलमान औरतों के साथ बलात्कार करकेे गुप्तांगों मे डाली जाती हैंं मिर्चें – मुस्लिम देश चुप-कुछ बोलेंगे ओवैसी भाई ?

चीनी प्रशासन की ओर देश में मुसलमान मुसलमानों के लिए बनाए गए ‘री-एजुकेशन’ कैंपों में महिलाओं के साथ पूरी योजना के साथ रेप किया जा रहा है. उन्हें यौन प्रताड़ना का शिकार बनाया जा रहा है और भीषण यातनाएं दी जा रही हैं. बलात्कार, यातनाओं और बुरी तरह प्रताड़ित करने के ये वाकये आपको विचलित कर देंगे.
गुलजीरा मॉडगिन नामक महिला, जिन्होंने कजाक की नागरिकता मिलने से पहले अपने कटु अनुभवों के बारे में कभी जुबान नहीं खोली थी, ने बताया कि चीनी यातना गृह में उन्हें जान से मारने की धमकी देकर डराया जाता था। उनका बार बार बलात्कार किया जाता था। गुलजीरा के अनुसार एक बार हिरासत के दौरान उन्हें मेडिकल चेकअप के लिए भेजा गया। जहाँ वे प्रेगनेंट निकलीं। जब अधिकारियों को ये बात पता चली, तो उनपर गर्भपात का दबाव बनाया गया। जब उन्होंने इससे मना किया तो उन्हें अकेला छोड़ दिया गया और बाद में एक क्लिनिक भेजा गया और टीबी की दवाइयों के नामपर कुछ दवाइयाँ खाने को कहा गया। लेकिन वो समझ गई वो गर्भपात की दवाइयां हैं।
यहाँ बता दें कि चीनी बर्बरता और उनके तौर-तरीके देख तुर्की के सदस्यों का कहना है कि चीनी प्रशासन गर्भपात को मुस्लिमों के ख़िलाफ़ एक हथियार की तरह इस्तेमाल करता है। जब भी वह इससे मना करते हैं, तो जबरन उनके साथ ऐसे काम किया जाता है।
वहीं इस संबंध में कई कजाकियों का कहना है कि चीन आतंक से लड़ने के नाम पर मुस्लिमों पर लगातार अत्याचार कर रहा है और हर बार मानवाधिकारों का उल्लंघन भी कर रहा है। लेकिन कोई भी नेता उनके पक्ष में नहीं खड़ा हो रहा। उनकी मुस्लिम होने की पहचान को समय से पहले ही मिटाया जा रहा है और उनके बच्चों को पैदा होने से पहले ही मारा जा रहा है।
इससे पहले डेली मेल ने ऐसी ही दो महिलाओं की आपबीती छापी थी। इन्हें 2009 में शिनजियांग में हिरासत में लिया गया था। 4 साल तक चीनी अधिकारियों की प्रताड़ना झेलने के बाद अब दोनों तुर्की में हैं। इन्होंने बताया था कि चीन में 35 साल से कम उम्र के हर आदमी और हर औरत का बलात्कार किया जाता है। कैंप के गार्ड जिसके साथ रात गुजारना चाहते हैं, उसके सिर पर बैग रखते हैं और फिर खींचते हुए बाहर ले जाते है। फिर पूरी रात उसका बलात्कार होता है।
गौरतलब है कि 2017 में उइगर मुस्लिमों, कजाकी मुस्लिमों, मुसलमान समुदाय के साथ हो रहे अत्याचारों का खुलासा हुआ था। इसके बाद इस मामले पर कई मीडिया रिपोर्ट्स सामने आईं। जिसमें खुलासा हुआ था कि चीन द्वारा री-एड्युकेशनल कैंपों के नाम पर चलाए जा रहे यातना गृहों में महिलाओं के साथ पहले रेप होता है और फिर उनका जबरन गर्भपात करवाया जाता है। इसके अलावा यहाँ महिलाओं के गुप्तांगों में मिर्ची के पेस्ट लगाए जाने भी बेहद आम हैं
तुरुसुने जियावुदुन मुसलमानों को कैद कर रखने के लिए बनाए गए विशाल शिविरों के गुप्त नेटवर्कों में नौ महीने रह चुकी हैं. ये कैंप शिनजियांग प्रांत में बनाए गए हैं. स्वतंत्र आकलनों के मुताबिक़, चीन सरकार की ओर बनाए गए बड़े इलाकों में फैले इन शिविरों में दस लाख से अधिक महिला-पुरुषों को कैद कर रख गया है. चीन का कहना है कि ये शिविर मुसलमान लोगों और दूसरे अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दोबारा शिक्षित करने यानी ‘री-एजुकेट’ करने के लिए बनाए गए हैं.
जियावुदुन ने बताया,”कई रातों को यहां से इसी तरह महिलाओं को उठाकर बलात्कार के लिए ले जाया गया.” वे चीनी हमेशा मास्क पहने रहते थे.. वे सूट पहने दिखते थे. वे पुलिस की वर्दी में नहीं होते थे. आधी रात के बाद किसी भी वक्त वे सेल में आ जाते और कुछ औरतों को उठा ले जाते थे. ये लोग उन्हें कॉरिडोर से घसीटते हुए ‘ब्लैक रूम’ में ले जाते थे. वहां कोई सर्विलांस कैमरा नहीं होता था. वह कहती हैं, “शायद ही मैं अपनी ज़िंदगी के इन डरावने हादसों को भूल पाऊंगी. अब तो मुंह से इन घटनाओं के बारे में एक शब्द नहीं निकालना चाहती. मेरे लिए इनका ज़िक्र तक करना मुश्किल है.” चीन की सरकार ने धीरे-धीरे लोगों की धार्मिक और दूसरी आज़ादियां छीन ली हैं. अब उन पर सामूहिक रूप से निगरानी रखी जाती है. उन्हें हिरासत में ले लिया जाता है. उनके विचार बदलने की कोशिश की जाती और यहां तक कि उनकी जबरदस्ती नसबंदी भी कर दी जाती है.
इसी तरह के एक कैंप से रिहा होने के बाद तुरुसुने जियावुदुन शिनजियांग से भागकर अमेरिका पहुंच गईं. उन्होंने कहा कि महिलाओं को ‘हर रात’ सेल से उठा लिया जाता था. इसके बाद उनके साथ मास्क पहना कोई आदमी बलात्कार करता था. महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार भी होता था. खुद जियावुदुन के साथ यह सब हुआ. जियावुदुन ने कहा कि उन्हें प्रताड़ित किया गया. उनके साथ तीन बार सामूहिक बलात्कार हुआ. हर बार दो या तीन पुरुषों ने उनके साथ बलात्कार किया.
जियावुदुन इसके पहले भी मीडिया को यह बता चुकी हैं. लेकिन इस तरह के ब्योरे उन्होंने कज़ाकिस्तान से दिए थे. हर वक़्त वापस चीन भेज दिए जाने के डर के बीच वह कज़ाकिस्तान में रह रही थीं. उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने इन कैंपों में यौन प्रताड़नाओं, यातनाओं और बलात्कार का ज़्यादा ज़िक्र किया होता तो शिनजियांग लौटने पर उन्हें और ज़्यादा यातनाएं मिलतीं. उन्हें यह सब कहते हुए शर्म आ रही थी.
चीन के इन शिविरों में 18 महीने तक रही एक कजाख महिला से ने बताया था कि उन्हें मुसलमान महिलाओं के कपड़े उतारने और उन्हें हथकड़ी लगाने के लिए बाध्य किया गया. उस दौरान वहां चीनी पुरुष थे. इसके बाद उन्हें कमरों को साफ़ करना पड़ा था.
गुलरिजा औलखान नाम की इस महिला ने कहा, “मेरा काम उनके कमर से ऊपर के कपड़ों को उतारने और उन्हें हथकड़ी लगाने का था ताकि वह हिल-डुल न सकें. उन्होंने यह बताने कि लिए अपनी कलाइयों को सिर के पीछे किया. महिलाओं के कपड़े उतारने के मामलों की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा, “मैं उन्हें कमरे में छोड़ कर निकल आती थीं, इसके बाद एक आदमी वहां आता था. फिर बाहर से कुछ लोग या पुलिसकर्मी आते थे. मैं चुपचाप दरवाजे पर बैठी रहती थी. जब कमरे में घुसे लोग चले जाते थे तो महिलाओं को नहलाने के लिए ले जाती थी.”
उन्होंने कहा “वहां आने वाले चीनी पुरुष उन महिला कैदियों में से सबसे युवा और सुंदर महिलाओं को पेश करने के लिए पैसे देते थे.”
इन शिविरों में रहने वाले कुछ कैदियों को भी इन सुरक्षा-गार्ड्स की मदद के लिए बाध्य किया गया. ऐसा न करने पर सज़ा की धमकी दी जाती थी. औलखान ने कहा कि वह लाचार थीं. न वह विरोध करती सकती थीं और न इन मामलों में दख़ल देने की ताक़त उनके पास थी.
उनसे पूछा गया कि क्या वहां व्यवस्थित ढंग से रेप करने का सिस्टम था? उन्होंने कहा, हां, रेप होता था.
उन्होंने कहा, “उन लोगों ने मुझे कमरे में जाने के लिए मजबूर किया. उन्होंने मुझे उन महिलाओं के कपड़े उतारने को बाध्य किया और उनके हाथ बांधने को कहा. इसके बाद मुझे कमरे से जाने के लिए कहा गया. ”
जियावुदुन ने बताया कि कुछ महिलाओं को सेल से रात को कहीं और ले जाया गया और फिर वे लौट कर नहीं आईं. जिन महिलाओं की सेल में वापसी हुई थी, उन्हें कहा गया था कि उनके साथ जो हुआ वो किसी को न बताएं.
उन्होंने कहा, किसी को यह बताने की इजाज़त नहीं थी कि उनके साथ क्या हुआ. आप सिर्फ़ वहां चुपचाप पड़े रह सकते थे. यह सब वहां हर शख़्स की आत्मा को कुचलने के लिए किया जा रहा था.
महिलाओं से उनके गहने उतरवा कर रख लिए जा रहे थे. जियावुदुन के कान की बालियां खींच कर निकाल ली गई थीं. उनके कान से खून बहने लगा. उन्हें वहां से लेकर जा कर एक कमरे में ठूंस दिया गया,जहां पहले से ही कुछ महिलाएं कैद थीं. इनमें एक बुजुर्ग महिला थीं. जियावुदुन की बाद में उनसे दोस्ती हो गई.
कैंप के सुरक्षा गार्ड्स ने उस महिला के सिर पर बंधे कपड़े को खींच कर निकाल दिया. महिला ने लंबी ड्रेस पहन रखी थी और चीनी सुरक्षा गार्ड उन पर चिल्ला रहे थे. लंबी ड्रेस पहनना वहां धार्मिक रीति-रिवाज का हिस्सा है. लेकिन उस साल वीगरों को उसके लिए गिरफ़्तार किया जा रहा था. चीन सरकार की नज़र में यह अपराध था.
जियावुदुन ने कहा कि उस बुजुर्ग महिला के सारे कपड़े उतरवा दिए गए. उनके शरीर पर सिर्फ इनरवेयर रह गए थे. उन्होंने अपने हाथ से अपने शरीर को ढकने की कोशिश की.
“उन लोगों की यह हरकत देखकर मैं खूब रोई. उन बुजुर्ग महिला के तो आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे. ”
महिलाओं से कहा गया कि वे अपने जूते और बटन और इलास्टिक लगे सभी कपड़े सौंप दें. इसके बाद उन्हें उन्हें अलग-अलग ब्लॉक में बने सेल में ले जाया गया. किसी भी छोटे चीनी इलाक़े में ऐसी बिल्डिंग की कतार आपको दिख जाएगी.
.जियावुदुन ने बताया, “पुलिस वालों के जूते बेहद भारी और कड़े थे. इसलिए शुरू-शुरू में मुझे लगा कि वह किसी दूसरी भारी चीज़ से मुझे मार रहे हैं. लेकिन बाद में पता चला कि वह मेरे पेट को कुचलने की कोशिश कर रहे हैं. मैं लगभग बेहोश हो गई. ऐसा लगा रहा था मेरे अंदर से कोई गर्म लहर गुज़र गई होगी.”
कैंप के एक डॉक्टर ने कहा कि हो सकता है मेरे शरीर के अंदर खून का थक्का जमा हो गया हो गया. जब मेरी कोठरी में मेरे साथ रहने वाली महिला ने बताया कि मुझे रक्तस्राव हो रहा है तो जवाब मिला यह सामान्य बात है. महिलाओं को तो रक्तस्राव तो होता ही है.
फिर 2018 को मई में किसी समय (जियावुदुन का कहना था तारीख़ ठीक से याद नहीं, क्योंकि क़ैद में तारीख़ का पता नहीं चलता) जियावुदुन और उनके सेल में रहने वाली 20-25 साल की महिला को बाहर ले जाया गया. उन्हें पहले मास्क पहने एक चीनी पुरुष के सामने पेश किया गया. उनके साथ रहने वाली महिला को दूसरे कमरे में ले जाया गया.
“जैसे ही वह अंदर गई वहां से चिल्लाने की आवाज़ आने लगी. मैं बता नहीं सकती आपको क्या कहूं. मैंने सोचा कि वे लोग उसे यातना दे रहे हैं. लेकिन यह नहीं सोचा था कि वे उस महिला के साथ बलात्कार कर रहे हैं.”
उनके हाथ में एक बिजली की छड़ी थी. जिसे उन्होंने उसके जननांग में घुसेड़ दिया. इसमें करंट था.”

मुसलमान ह्यूमन राइट्स प्रोजेक्ट को सादिक नाम की महिला ने बताया था कि उन्होंने बिजली के करंट वाली छड़ी के बारे में सुना है. महिलाओं को यातनाएं देने के लिए यह छड़ी उनके जननांगों में घुसेड़ दिया जाता है. यह बात जियावुदुन के बयानों से मिलती है. उन्होंने बिजली के करंट वाली छड़ी के इस्तेमाल की बात बताई थी.
सादिक ने कहा, “महिलाओं की चीख से पूरी बिल्डिंग गूंजती रहती थी, लंच और कभी-कभी मैं जब क्लास में होती थी तब भी ये चीखें सुनाई पड़ती थीं.”
कैंप में काम करने लिए मजबूर की गईं एक और महिला टीचर सायरागुल सॉतबे बताया , रेप तो आम हो गया था. गार्ड जिन लड़कियों और महिलाओं को अपने साथ ले जाना चाहते थे, उठाकर ले जाते थे.”
सॉतबे कहती हैं कि कैंप में एक 20-21 साल की महिला का सबके सामने गैंगरेप होते उन्होंने ख़ुद देखा था. लगभग 100 क़ैदियों के सामने यह ख़ौफ़नाक हादसा हुआ था. उस महिला से सबके सामने गलती मानने को कहा गया.
सॉतबे ने बताया, “गलती मान लेने के बाद पुलिसवालों ने सबके सामने बारी-बारी से उसका रेप किया. जब वो ये सब कर रहे थे तो हर किसी को यह देखने के लिए बाध्य किया गया. जिसने भी विरोध किया, उसकी कलाइयां बांध दी गईं. आंखों पर पट्टी डाल दी गई. दूसरी ओर देखने के लिए कहा गया और सज़ा देने के लिए ले जाया गया. यह बेहद भयावह था. मुझे लगा मैं मर जाऊंगी. वास्तव में तो मर ही चुकी थी.”
महिलाओं को ज़बरदस्ती आईयूडी (गर्भनिरोधक उपकरण) लगा दी जाती था या फिर उनकी नसबंदी करा दी जाती थी. एक 20 साल की महिला के साथ भी ऐसा ही हुआ. हमने उसकी ओर से दया की भीख मांगी.”
लोगों को जबरदस्ती दवा देने, नसबंदी करने और टीका लगाने के अलावा जियावुदुन के कैंप में कैदियों से घंटों देशभक्ति गीत गवाए जाते थे. राष्ट्रपति शी जिनपिंग से जुड़े देशभक्ति टीवी कार्यक्रम देखने को बाध्य किया जाता था.
जियावुदुन ने कहा,”हम कैंप के बाहर की दुनिया के बारे में सोचना भूल चुके थे. मुझे पता नहीं कि उन्होंने हमारा ब्रेनवॉश किया या फिर यह टीकों और दवाओं का असर था. भरपेट खाने के अलावा हम कुछ सोच ही नहीं पाते थे. हमें इतना कम खाना मिलता था कि हम पूरा खाना खाने के बारे में ही सोचते रहते थे.”
जब कैदी टेस्ट में फेल हो जाते थे तो उन्हें अलग-अलग रंग के कपड़े पहनने को बाध्य किया जाता था. कपड़ों के रंग इस आधार पर बदले जाते थे कि आप कितनी बार फेल हुए हैं. एक बार फेल होने पर एक रंग और दो या तीसरी बार फेल होने पर दूसरे रंगों के कपड़े पहनने को दिए जाते थे. इसी आधार पर सज़ा का लेवल भी तय था. इसमें खाना रोकने से लेकर पिटाई तक शामिल थी.
जियावुदुन का भी कहना है कि ज़ुल्म ढाने वालों ने इसे बंद नहीं किया है. वह कहती हैं, वे न सिर्फ़ रेप करते हैं बल्कि महिलाओं के शरीर को जहां-तहां काट खाते हैं मानों वो आदमी न होकर जानवर हों.
वह कहती हैं, उन्होंने हमारे शरीर के किसी हिस्से को नहीं छोड़ा. हर जगह काट खाया और अब इन भयावह चिह्नों को देख कर नफरत होती है.
“मेरे साथ ऐसा तीन बार हुआ. ऐसा नहीं कि एक आदमी ने ये सब किया. मेरे साथ हमेशा दो या तीन आदमियों ने ऐसा किया.
जियावुदुन ने बताया, “सेल में मेरे नज़दीक सोई एक महिला ने मुझे बताया उसे ज्यादा बच्चा पैदा करने के जुर्म में यहां लाया गया है. वह अचानक तीन दिन के लिए गायब हो गई. जब वह लौटी तो उसके सारे शरीर में निशान बने हुए थे.”
उसकी मुंह से आवाज़ नहीं निकल रही थी. मेरी गर्दन में बांह डाल कर वह लगातार सिसकती रही. वह कुछ भी बोल नहीं पा रही थी.
वह वाशिंगटन डीसी से थोड़ी दूर पर स्थित एक उपनगरीय इलाक़े में रहती हैं. उनकी मकान मालिक मुसलमान समुदाय की ही हैं. दोनों महिलाएं साथ में खाना बनाती हैं और घर के बाहर की गलियों का चक्कर लगाती हैं. ज़िंदगी धीमी चल रही है.
जियावुदुन कहती हैं कि बहुत से लोग और महिलाएं यातनाओं, प्रताड़नाओं से तंग आकर शराब पीने के आदी हो चुकी हैं.
उन्होंने अपने सेल में रहने वाली एक कैदी को सड़क पर पड़े देखा. वह वही युवा महिला थी जिसे उनके सेल से ले जाया गया था. उसी महिला की चीख उन्हें वहां सुनाई दी थी. महिला नशे की आदी हो चुकी थी. उसका सिर्फ़ शारीरिक वजूद बचा हुआ. वैसे तो वह मर ही चुकी है. बलात्कार ने उसे खत्म कर दिया है.
जियावुदुन कहती हैं, “कहा जाता है कि लोग कैंप से रिहा हो रहे हैं. लेकिन मेरी नज़र में कैंप से निकलने वाले तो पूरी तरह ख़त्म हो चुके हैं.”
वह कहती हैं, “यह सब एक सुनियोजित साज़िश है. निगरानी, कैद, कैंप में सरकारी विचारों की घुट्टी पिलाना, अमानवीय बर्ताव, नसबंदी और रेप. सब कुछ योजना बना कर होता है. इन सबका एक ही मकसद है- एक-एक को बरबाद कर दो. और हर किसी को उनके इस मकसद के बारे में पता है.”
अगर कोई महिला सेंटर से भागती है तो उसके प्राइवेट पार्ट्स पर मिर्ची का पेस्ट लगाकर चीखें सुनी जाती है…
रुकैया का दावा है कि चीन में गिरफ्तारी के दौरान जो महिलाएं गर्भवती होती हैं, उनका बर्बता से काट कर गर्भपात कर दिया जाता है

 

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