Aryan Khan Drug Case: आर्यन के लिए सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना- 17 रातों से जेल में रखना अवैध, जमानत न देना आरोपी का अपमान

Report: Khalsa Gurmit Singh Tung

राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त किशोर तिवारी ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने सीजेआई एनवी रमण से इस मामले में ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’ के आधार पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।मुंबई क्रूज ड्रग्स पार्टी में गिरफ्तार आर्यन खान के मौलिक अधिकारों की रक्षा की मांग लेकर शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। साथ ही मुंबई में एनसीबी की भूमिका की जांच कराने की भी मांग की है। याचिका में आर्यन के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन मामले की जांच शीर्ष अदालत के एक मौजूदा न्यायाधीश से कराने का आदेश देने की मांग की गई है।

संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका देते हुए, राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त किशोर तिवारी ने सीजेआई एनवी रमण से इस मामले में ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’ के आधार पर हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, पिछले लगभग दो वर्षों से ‘दुर्भावनापूर्ण उद्देश्यों’ के साथ एनसीबी पक्षपात रवैया अपना रहा है और फिल्मी हस्तियों, मॉडलों व अन्य सेलिब्रिटी को परेशान कर रहा है।

अनुच्छेद 32 के तहत, सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित हर मामले का संज्ञान लेने के लिए बाध्य हैं, जैसा कि संविधान के भाग तीन के तहत गारंटी दी गई है, जिसका एनसीबी उल्लंघन कर रहा है। उन्होंने कहा, विशेष एनडीपीएस कोर्ट (मुंबई) द्वारा आर्यन खान और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर फैसला 20 अक्तूबर तक सार्वजनिक अवकाश का हवाला देते हुए टालने से आरोपी का बड़ा अपमान हुआ है। आर्यन खान को अलोकतांत्रिक व अवैध रूप से जेल में 17 रातों के लिए रखा गया। यह संविधान में निहित जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की पूरी तरह से अवहेलना है।

क्रूज ड्रग्स पार्टी मामले में गिरफ्तार आर्यन खान ने सोमवार को जेल में काउंसिलिंग के दौरान कहा कि वह अच्छा नागरिक बनेगा और देश की सेवा करेगा। एनसीबी मुंबई के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेडे़ ने खुद आर्यन की काउंसिलिंग की और उसे नशे से दूर रहने की सलाह भी दी गई।

वानखेडे सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद उनकी काउंसिलिंग करते हैं। कस्टडी के दौरान यह काउंसिलिंग रोजाना दो से तीन घंटे की जाती है। इसमें मुंबई के इस्कॉन मंदिर के पुजारी या मौलाना और दूसरे विद्वानों के साथ गैरसरकारी संस्थाओं की मदद ली जाती है|

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