कुछ बजुर्ग कुछ मुंडे-अध्यापक बन गए गुंडे पटियाला में

अधयापकों द्वारा टांग तोड़ने के बारे में अपने परिवार को बताता पीड़ित पुलिस कर्मी

पटियाला में पुलिस कर्मियों की जान उस समय सांसत में पड़ गई जब मुख्यमंत्री के घर में जबरदस्ती घुसने पर उतारू भड़के अध्यापक रोके जाने पर पुलिस मुलाजमों पर बिजली की तरह टूट पड़े। अध्यापक आज शुरू से ही उतेजित मोड़ में थे और माल रोड से गुजरते हुए वाहनों पर स्पीकर लगा कर भड़काऊ तकरीरें दे रहे थे और आम जनता को भी चुनौतियां दे रहे थे।

घुसने को ततपर अधियापिका

ये हुल्लड़बाज इक्की दुक्की चुक्क देवांगे धौन ते गोडा रक्ख देवांगे मार्का नारों से हजूम का गुस्सा भड़का रहे थे। ज्यों ही लगभग 7000 के करीब अध्यापक मोदी कॉलेज के निकट पहुंचे और हमलावर अंदाज़ में मोती बाग पैलेस की तरफ बढ़ना शुरू किया तो उनके हिंसक रूप को देखते हुए पुलिस कर्मचारियों ने उनको आगे ना जाने की अपील की और उनके आगे बैरिकेड लगा दिए लेकिन हिंसा पर उतारू अध्यापकों ने लोहे के भारी-भरकम बैरिकेड पुलिस की तरफ जोर से धकेले और आगे बढ़ना जारी रखा ।

घायल पुलिस कर्मियों की देखभाल करते हुए राजिंदरा हस्पताल चौकी इंचार्ज जपनाम सिंह
पुलिस कर्मी के हाथ की हड्डियां तक तोड़ डालीं उपद्रवियों ने

जब पुलिस उन को रोकना चाहा तो कुछ हुलड़बाज राजा मुर्दाबाद और महल को आग लगादो के नारे लगाते हुए पुलिस से भिड़ गए और एस पी एच हरविंदर सिंह विर्क के बाजू पर प्रहार करते हुए उनकी पगड़ी उतार दी जिस से अपने सीनियर पुलिस अफसर को बचाने के लिए कुछ पुलिस कर्मी आगे आये तो हुलड़बाजों ने उन पर भी अटैक किया और इस हमले में एस पी एच और कुछ पुलिस कर्मियों की हड्डियां तक टूट गईं और उन्हें गंभीर चोटें पहुंचने के कारण राजिंदरा हस्पताल दाखिल करवाया गया ।

इसके बाद अध्यापकों पर वाटर कैनन की मदद से काबू पाया गया । भड़के सांड पर पानी डालकर काबू करने की ये तरकीब कारगर सिद्ध हुई और मास्टर मास्टरनियाँ पीछे हट गए और शहर के सभी रास्ते अवरुद्ध कर दिए और आम जनता की रास्ते से गुजरने नहीं दिया और जन मार्ग में रुकावट डाली जिस से आम जनता और अध्यापकों में झड़प के मामले भी सामने आए

एटीएम कब्जे में करने के बाद मुंह छुपाते अध्यापिकाएं

इसी दौरान अध्यापिकाओं ने इलाके के ए टी एम भी काबू में कर लिए और अंदर घुसकर पैसे निकालने आये लोगों के लिए भी रुकावट खड़ी कर दी। देश के भविष्य का निर्माण करने वाले इन शिल्पियों ने इस धरने में मुख्यमंत्री के खिलाफ इस तरह की गन्दी और अभद्र गटरनुमा भाषा का प्रयोग किया गया जिस को सुनकर भी शर्म आ रही थी ।

महिला अध्यापिका के सामने चोरी से एतराज योग वीडियो का आनंद लेते हुए धरने में शामिल मास्टर जी

इस जमघट में शामिल कुछ लोग देर रात को शराब के नशे में झूमते हुए लड़खड़ाते दिखाई दिए। जिस उजड्ड और जानवरों जैसे तरीके से इस तबके के कई लोग आचरण कर रहे थे उस से महसूस हो रहा था कि इस धरने में अराजक तत्व भी शामिल हो गए हैं ।

एटीएम पर कब्जा करके क्रांतिकारी नारे लगाते हुए मास्टरनी जी

एक तरफ  पटियाला पुलिस  उपद्रवियों पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी दूसरी तरफ  नजदीक के बाबा बलबीर डेरे में  एक निहंग  लंगर छक रहे  अध्यापकों  की वीडियो  सोशल साइट पर  वायरल करते हुए  भड़काऊ भाषा में  कमेंट्री कर रहा था  जिससे लोगों में बेचैनी  और राज्य सरकार के प्रति बगावत की भावना पैदा होने के आसार  नजर आने लगे थे  क्योंकि लोग इन लाइव  टेलीकास्ट ओं पर  तरह तरह के सरकार के खिलाफ कमेंट भी करते जा रहे थे ।

भड़काऊ भाषा में सरकार के खिलाफ भाषण देते हुए वीडियो लाइव करने वाले निहंग सिंह की दिलचस्प मुद्रा

जहां अध्यापक नेता जीप पर स्पीकर बांध कर मुख्यमंत्री को अपशब्द बोलते हुए मोती महल की ईंट से ईंट बजाने के ललकारे मार रहे थे वहीं पर असंख्य अध्यापक रेहड़ी पर गुलाबजामुनों का लुत्फ उठा रहे थे और कॉफी के कपों से ठंड मिटा रहे थे ।

पवित्र अग्नि पर जूते घुमाकर संघर्ष की सफलता के लिए टोटका करते हुए माननीय अध्यापक

कुछ अध्यापक पवित्र अग्नि पर जूते लहरा कर अजीब सी हरकतें कर रहे थे।

आम लोगों के आने जाने के रास्ते हैं रुकावट पैदा करने का महान कार्य करती हुई मास्टरनियाँ

अध्यापकों से ज्यादा अनुसाशित स्टाफ नर्सों और दर्ज चार कर्मियों का आचरण था जिन्होंने हड़ताल पर होने के बावजूद भी संयम नहीं खोया और अपना धरना कुछ देर के लिए छोड़कर घायल पुलिसकर्मियों और अध्यापकों को फर्स्ट एड देकर अपने कर्तव्य और अपने प्रोफेशन की लाज रखी।

नीचे से ठंड पड़ रही थी ऊपर से नारेबाजी की गर्मी-ऐसे अजीबोगरीब तापमान को झेल रही बेचारी थकी हुई अध्यापिकाएं

इस घटनाक्रम का संतोषजनक पहलू ये रहा कि पटियाला के डिप्टी कमिश्नर कुमार अमित और एस एस पी मनदीप सिंह सिद्धू ने आपसी तालमेल से किसी भी कर्मचारी को संयम नहीं खोने दिया और पुलिस मुलाजमों ने अपने गुस्से पर काबू रखा नहीं तो हालात बद से बदतर होने में थोड़ा ही फासला रह गया था ।

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