ना होती पंजाब पुलिस तो लुट जाती लोकाई-पटियाला पुलिस का शानदार कारनामा
कई कत्ल और होने से बचा लिए पटियाला पुलिस ने-शाबासी तो बनती है
नाभा में बैंक के सुरक्षा गार्ड को गोली मारकर कत्ल करने के बाद 50 लाख रुपये लूटने वाले कातिल लुटेरों के पकड़े जाने के बाद पटियाला पुलिस की जांच पड़ताल के बाद बहुत से सनसनीखेज खुलासे हुए हैं इस वारदातमें काबू किये गए यह दोनों लुटेर एक पूरा गैंग ऑपरेट करते थे और इनके कई और साथी पकड़ने में भी पटियाला पुलिस ने सफलता प्राप्त की है । एसएसपी पटियाला श्री मनदीप सिंह सिद्धू ने पुलिस न्यूज़ इंडिया को जानकारी देते हुए बताया कि यह दोनों बहुत ही बेरहम कातिल थे और वारदातों के दौरान अपने शिकारों के साथ बड़ी ही बेरहमी के साथ दरिंदगी करते थे। एसएसपी पटियाला ने बताया यह जब डाका या लूट मार की वारदात करते थे तो सामने वाला विरोध करे या ना करे, यह उसे गोली जरूर मारते थे और इसी सिलसिले में लगातार 12 साल के आपराधिक कार्यकाल में इन्होंने 15 डकैतियां व 6 कत्ल किये और 7 आदमियों को गंभीर रूप से जख्मी किया । राक्षसी प्रविर्ती के इन दुर्दांत हत्यारों के गैंग को नेस्तनाबूद करते हुए पटियाला पुलिस ने इस गैंग के और सदस्यों को भी धर दबोचा है।
आसान नहीं था हत्यारों को पकड़ना
इन लोगों को पकड़ना इतना आसान नहीं था । यह लोग इतने शातिर थे कि घटनास्थल पर किसी तरह का कोई भी सबूत या कोई लीड नहीं छोड़ते थे और एक अपराध करने के बाद काफी काफी देर तक साइलेंट जोन में चले जाते थे । यह ऐसी अंधी वारदातें करते थे कि इनको बड़ी से बड़ी एजेंसी के लिए भी ट्रेस करना खाला जी का बाड़ा नहीं था लेकिन पटियाला पुलिस ने 12 साल के बाद इनको अपने अंजाम तक जिस तरह पहुंचाया वो काबिले तारीफ है और इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है।
गधे के सिर के सींगों की तरह गायब हो जाते थे कातिल वारदात के बाद
देखने वाली बात यह है यह लुटेरे अक्सर वारदात करने के बाद इस तरह से गायब होते थे जैसे गधे के सिर से सींग। ऐसे में हालात यह हो जाते थे कि चिराग लेकर ढूंढो फिर भी यह नजर नहीं आते थे । ऐसे अपराधियों को पकड़ कर पटियाला पुलिस ने एसएसपी पटियाला श्री मनदीप सिंह की कमांड में एक शानदार इन्वेस्टिगेशन की मिसाल पेश करते हुए पंजाब के लोगों की जान माल की रक्षा करने में विशेष भूमिका निभाई है, क्योंकि अगर यह खतरनाक दरिंदे पकड़े ना जाते तो ना जाने कितनी कीमती और निर्दोष जाने इनके निशाने पर होनी तय थी ।एसएसपी पटियाला श्री मनदीप सिंह सिद्धू ने बताया की 14 नवंबर 2018 को चाचा नेहरू के जन्म दिवस पर अनाज मंडी नाभा में हुई लूट के बाद महज 4 घंटे में अमरजीत सिंह उर्फ गुरी निवासी c-196 अफसर कॉलोनी जिला संगरूर और जगदेव सिंह उर्फ तारी पुत्र करनैल सिंह निवासी मंगवाल थाना सदर संगरूर को धर दबोचा था । पुलिस रिमांड में इन से बारीकी से पूछताछ की गई और मनोवैज्ञानिक तरीके से की गई पूछताछ में इन दोनों ने अपनी सारी काली करतूतों उगलते हुए अपने गैंग के दूसरे साथियों के बारे में भी बताया । इन से मिली जानकारी से पता चलता है कि यह कितने भयानक और शातिर लुटेरे थे।
कुशल और सटीक इन्वेस्टिगेशन
एसएसपी पटियाला श्री मनदीप सिंह सिद्धू की निगरानी में एसपी इन्वेस्टिगेशन श्री मंजीत सिंह बराड़,डीएसपी नाभा श्री दविंद्र कुमारअत्री, डीएसपी इन्वेस्टिगेशन श्री सुखमिन्दर सिंह चौहान, इंस्पेक्टर सीआईए पटियाला शमिंदर सिंह और नाभा कोतवाली के सब इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह पर आधारित एक विशेष जांच टीम का गठन किया गया था जिन्होंने बहुत ही प्रोफेशनल तरीके से जांच की और लगातार अब भी जांच चल रही है। जांच उपरांत नाभा कांड में पकड़े गए लुटेरों के दूसरे साथियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया, जिनके नाम गुरमेल सिंह उर्फ भोला उर्फ जोकर निवासी रसीन लुधियाना और मेजर सिंह निवासी कांधला जिला संगरूर शामिल है। उनके एक और पुराने साथी गुरमेल सिंह निवासी घनौरी जो पहले ही मलेरकोटला जेल में बंद था को प्रोडक्शन वारंट पर लाकर पूछताछ की गई जिसके ऊपर कत्ल और लूटमार के 17 के करीब मुकदमें अलग-अलग थानों में दर्ज हैं ।2008 में एक वारदात के दौरान गैस एजेंसी चीमा मंडी में इन्होंने 3 निर्दोष व्यक्तियों का कत्ल करके लूटमार की थी और इसके अलावा इन्होंने असला लूटने की 14 वारदातें भी की है। यह गिरोह साल 2006 से इस तरह की आपराधिक कार्य करता रहा था। पहले अमरजीत सिंह गुरी अपने साथी गुरमेल सिंह उर्फ जोकर और मेजर सिंह के साथ मिलकर यह वारदातें करता था। साल 2011 में इन्होंने अपने ग्रुप में जगदेव सिंह को शामिल कर लिया जिसकी गिरफ्तारी से 12 साल पुराने अनसुलझे हुए केस पटियाला पुलिस की तरफ से ट्रेस किए गए हैं जो कि बहुत ही खास प्राप्ति है। क्योंकि जुर्म का आखिर में अंत होता ही है,मुजरिम चाहे कितना भी शातिर हो कानून के लंबे हाथ उस तक जा ही पहुंचते हैं। इन शातिर अपराधियों द्वारा बहुत खौफनाक वारदातों को अंजाम दिया गया। 8 मई 2006 को कांधला सोसायटी के कर्मचारी निर्भय सिंह को इन्होंने जख्मी कर के 300000 छीने थे जिसका मुकदमा नंबर 87, 8 मई 2006 को धारा 392 और 34 आईपीसी तथा असला एक्ट के अंतर्गत थाना धूरी जिला संगरूर में दर्ज हुआ था इस वारदात को अमरजीत सिंह उर्फ गुरी, गुरमेल सिंह जोकर और मेजर सिंह ने मिलकर अंजाम दिया था। 12 दिसंबर 2008 को एक और खतरनाक वारदात करते हुए अमरजीत सिंह की तरफ से भारत गैस एजेंसी की रैकी के बाद चीमा मंडी में हथियारों से लैस होकर हमला किया गया। इस वारदात में इन्होंने बेरहमी से गैस एजेंसी में घुसते ही पहले गनमैन अवतार सिंह के सिर में गोली मारी, फिर कैशियर सत्यनारायण जो कैश वाला बैग लेकर ट्रक में बैठ गया था। उसको ट्रक से खींचकर उसके गोली मार दी और वहां एक निर्दोष ग्राहक नत्था सिंह जो एजेंसी से सिलेंडर लेने आया था उसको भी गोली से उड़ा दिया। इन तीनों की मौके पर मौत हो गई थी। उसके बाद यह लुटेरे गैस एजेंसी का 2 लाख कैश और गनमैंन अवतार सिंह की 12 बोर गन और कारतूस लूट कर मौके से फरार हो गए थे जिसमें धारा 302 और 25 असला एक्ट के अंतर्गत मुकदमा नंबर 239, 12 दिसंबर 2008 को थाना सदर सुनाम में दर्ज हुआ था। इस वारदात को भी अमरजीत सिंह गुरी, गुरमेल सिंह जोकर ने बड़ी ही दरिंदगी से अंजाम दिया था। शातिर अपराधियों के हौसले इस हद तक बुलंद हो गए थे कि 2009 में 8 मई को दुलदी गेट नाभा के जिंदल ट्रेडिंग लिमिटेड के कर्मचारी नरेश कुमार और राजकुमार फर्म का 700000 कैश जमा करवाने के लिए जा रहे राजकुमार की छाती में उन्होंने सीधा फायर किया,जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई उसके बाद राजकुमार के पीछे बैठे नरेश कुमार को मारपीट कर यह निर्दय लुटेरे 700000 रुपये लेकर फरार हो गए थे, इस सबन्ध में थाना कोतवाली नाभा में 8 मई 2009 को धारा 302 धारा 382 धारा 34 आईपीसी और 25 आर्म एक्ट के तहत एफआईआर नंबर 43 दर्ज की गई थी। अपनी चालाकियों और मक्कारीओं के चलते जब यह खतरनाक लुटेरे पुलिस से बचाने में सफल होते रहे तो इनके हौसले और भी बुलंद होते गए।
2 जून 2010 को इन्होंने अपने गैंग को और आगे बढ़ाने के लिए और अपनी असले की जरूरत को पूरा करने के लिए असला लूटने की योजना बनाई । पटियाला जिला के दूंगा गांव में खेतीवाड़ी करने वाला कसेआना गांव का किसान मेघ सिंह अपनी 32 बोर की रिवाल्वर के साथ बरनाला रोड दूंगा के शान ए पंजाब ढाबा से अपनी प्राइवेट जिप्सी पर सवार होकर दूध और दही लेने गया तो जब वापस आ रहा था तो उन्होंने गांव कुंडला के खेतों के पास रिवाल्वर की नोक पर उसको घेर लिया और उसका लाइसेंसी रिवाल्वर, 18 कारतूस और 10000 रुपये छीन लिए । इस घटनाक्रम की रिपोर्ट थाना लोंगोवाल के जिला संगरूर में दर्ज है।
बेखौफ लुटेरे
यह लुटेरे हथियारबंद होकर आम सड़कों पर बेखौफ होकर घूमते थे और आम लोगों को कीड़ा मकोड़ा समझते थे। इसी प्रवृत्ति के चलते अमरजीत सिंह, गुरमेल सिंह और इनका एक और नया साथी जगदेव सिंह तारी हथियारों से लैस होकर एस्टीम कार में सवार होकर लूटमार की वारदात को अंजाम देने के लिए भवानीगढ़ समाना और गुला चीका हरियाणा में शिकार की तलाश के लिए गए थे। जब यह वापस संगरूर की तरफ जा रहे थे तो असमानपुर के पास सपरहेड़ी थाना घग्गा का रहने वाला गुरदीप सिंह लाडी अपनी ट्रैक्टर ट्राली खेत में से खाली करके जब दोबारा ट्राली भरने के लिए जा रहा था तो पीछे से यह एस्टीम कार से आ रहे थे। इन्होंने साइड देने में हुई थोड़ी सी देर से गर्मी में आकर उस किसान को गालियां निकालनी शुरू कर दी और ट्रैक्टर ट्राली रोकने के लिए कहा जिसने ट्राली ट्रैक्टर रोक लिया। उन्होंने कार आगे लगाकर उसके ऊपर फायर किए जिनमें से उसकी बाई टांग में एक गोली लगी और इसके बाद ये समाना की तरफ भाग गए। इस सिलसिले में थाना घग्गा में 17 मई 2011 को 307 आईपीसी तथा 25 असला एक्ट के अधीन एफ आई आर नंबर 45 दर्ज हुई थी। 20 अक्टूबर 2012 को इन्होंने पातड़ा के एटीएम में एक्सिस बैंक का कैश डालने जा रहे कर्मचारियों की कैश वैन के बराबर मोटरसाइकिल लगाकर कैश वैन लूटने की नियत से फायरिंग करनी शुरू की और कैश वैन के गनमैन सुखविंदर सिंह की बाईं बाजू में फायर लगे तो सुखविंदर सिंह ने अपने बचाव में कैश बचाने के लिए इनकी तरफ फायर किया तो यह मोटरसाइकिल पीछे घुमा कर समाना की तरफ भाग गए। जिस के सिलसिले में 20 अक्टूबर 2012 को धारा 307,382, 511, 34 आईपीसी और 25 आर्म्स एक्ट के तहत थाना घग्गा में एफ आई आर हुई।
यह हत्यारे अक्सर शिकार की तलाश में हर रोज इधर-उधर घूमते थे और विभिन्न बैंकों और ऐसे लोगों और संस्थाओं की निगरानी करते थे जिनके पास कैश होता था। इसी तरह इन्होंने रैकी करते हुए को ऑपरेटिव सोसायटी खेड़ी के सेल्समैन गुरपाल सिंह के पैरों में उस समय गोलियां बरसाईं जब रिकवरी किया हुआ कैश जमा करवाने के लिए वो जा रहा था और उससे रिवाल्वर की नोक पर 146000 रुपये लूट कर भाग गए जिस के सिलसिले में थाना सदर सुनाम में धारा 382, 34 आई पी सी और 25 आर्म्स एक्ट के तहत नवंबर 2017 को एफआईआर नंबर 105 दर्ज हुई।
23 फरवरी 2018 को इन्होंने बीरबल सिंह नाम के इंडियन ऑयल पाइपलाइन संगरूर में तैनात सिक्योरिटी गार्ड को गांव कोलार के पास रोक लिया और उसकी लाइसेंसी राइफल 12 बोर डबल बैरल छीनने की नियत से उसकी आंखों में टॉर्च मार के रोका और तीन फायर कर दिए जो उसके पेट में लगे और वह जख्मी हो गया। उसके बाद ही उसकी 12 बोर डबल बैरल राइफल और 10 कारतूस छीनकर अपने पल्सर पर सवार होकर भाग गए। इस सिलसिले में थाना सतना में ही दो 2018 को धारा 307 धारा 379 आईपीसी और 25 आर्म्स एक्ट के तहत आई दर्ज हुई।
वारदात के शातिर तरीके
इन शातिर अपराधियों का वारदात करने का तरीका पूरी तरह से नपा तुला और सुनियोजित होता था। सबसे पहले यह जहां वारदात करनी होती उस जगह की रैकी करते थे फिर उस जगह से भागने के लिए गांव के दरमियान लिंक रोड की शिनाख्त करते थे और वारदात के बाद ही आसानी से अपने ठिकाने पर पहुंच जाते थे। वारदात करते समय यह अपने शिकार के नाजुक अंगों पर फायर करते थे जिससे इनके शिकार की मौके पर ही मौत हो जाती थी। वारदात के समय यह कम से कम चार हथियार लेकर साथ जाते थे और वारदात अपने हुलिए बदल बदल कर करते थे। कभी पगड़ी बांध लेते, कभी हेलमेट पहन लेते और मिलते जुलते कलर की पेंट कमीज डालते, सफेद कुर्ते पजामे पहनते और पल्सर मोटर या कोई और अच्छा तेज गति से भागने वाला वाहन इस्तेमाल करते थे। 2006 से लेकर 2011 तक मनजीत सिंह, गुरमेल सिंह और अजय सिंह ने मिलकर वारदातें की। इसके बाद 2011 से साल 2014 तक इनके साथ जगदेव सिंह और तारी भी शामिल हो गया और 2014 से साल 2018 तक मनजीत सिंह और गुरदेव सिंह तारी ने वारदातें कीं। पुलिस रणजीत सिंह के पास एक राइफल लाइसेंसी 12 बोर और 25 राउंड, एक 315 बोर राइफल और 25 कारतूस, काले रंग का एक हेलमेट जिसे अपना चेहरा छुपाने के लिए इस्तेमाल करते थे, दो ग्राइंडर और 2 कटर बरामद हुए। यह सारा असला इन्होंने लूटी गई रकम से खरीद किया था। विभिन्न जगह पर की गई वारदात में इन्होंने 6 कत्ल किये और सात व्यक्तियों को गंभीर रूप से जख्मी किया। अभी भी पटियाला पुलिस द्वारा इनको रिमांड पर लेकर गहराई से पूछताछ की जा रही है। इस गैंग की गिरफ्तारी से जहां बहुत सारे अनट्रेस केस हल हुए हैं वहीं आम जनता को कुछ देर के लिए सुख शांति लेना नसीब हुआ है क्योंकि पुलिस के लाख प्रयासों के बावजूद भी ऐसे असंख्य शातिर अपराधी हैं जो लोगों की और कानून की आंखों में धूल झोंक कर वारदातें करते रहते हैं।
पकड़े न जाते तो कई और लूट और हत्याओं का था प्रोग्राम इस कांड की सबसे खतरनाक बात यह है कि अगर यह पकड़ में ना आते तो इन्होंने नाभा से संगरूर जाने वाली कैश वैन और गांव रोगला, महिला चौक, गांव मोडाँ जिला संगरूर की सोसाइटीज का कैश लूटने और उनके कर्मचारियों का कत्ल करने की पूरी तैयारी कर रखी थी और अगर यह ना पकड़े जाते तो यह वारदातें भी इनकी तरफ से की जानी थी। इन अमानवीय और दुर्दान्त दरिंदों के पकड़े जाने पर आम जनता की तरफ से पटियाला पुलिस को शत शत प्रणाम।