दिनकर गुप्ता ने DGP पंजाब का कार्यभार संभाला
वरिष्ठ आइपीएस अफसर श्री दिनकर गुप्ता ने पंजाब के डीजीपी तौर पर अपना कार्यभार संभाल लिया है। गौरतलब है कि “पुलिस न्यूज़ इंडिया” ने कल ही न्यूज ब्रेक करते हुए श्री दिनकर गुप्ता की नियुक्ति के बारे में बता दिया था । दिनकर गुप्ता 1987 बैच के आइपीएस अफसर हैं। उनको सुरेश अरोड़ा के स्थान पर नियुक्त किया गया है। सुरेश अरोड़ा ने एक्सटेंशन लेने से इन्कार कर दिया था। दिनकर गुप्ता को डीजीपी बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने की।
इस मौके पर सुरेश अरोड़ा और अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। उन्होेेंने वीरवार शाम करीब चार बजे अपना कार्यभार संभाल लिया।
दिनकर गुप्ता को डीजीपी बनाने की मंजूरी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने वीरवार सुबह दी। इसके बाद दिनकर गुप्ता ने सुरेश अरोड़ा के साथ मुख्यमंत्री से मुलाकात की। इस मौके पर अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। इसके बाद शाम करीब चार बजे पुलिस मुख्यालय में दिनकर गुप्ता ने डीजीपी का कार्यभार संभाल लिया। उनको निवर्तमान डीजीपी सुरेश अराेड़ा ने पदभार सौंपा। इस अवसर पर कई पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।
दिनकर गुप्ता अभी पंजाब पुलिस (इंटेलिजेंस) के डीजीपी थे। इसमें पंजाब स्टेट इंटेलिजेंस विंग, स्टेट एंटी-टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) और ऑर्गनाइज्ड क्राइम कंट्रोल यूनिट (OCCU) की सीधी निगरानी शामिल थी।
उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर आठ साल जून 2004 से जुलाई 2012 तक कार्य किया। वहां उन्होंने कई संवेदनशील व महत्वपूर्ण दायित्व संभाले। वह केंद्रीय गृह मंत्रालय में डिग्निटरी प्रोटेक्शन डिवीजन के प्रमुख भी रहे। उन्होंने लुधियाना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में भी कार्य किया। एक अनुभवी और प्रतिष्ठित अधिकारी दिनकर गुप्ता को 26 अप्रैल 2018 को केंद्र में अतिरिक्त महानिदेशक स्तर के पद पर नियुक्ति के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
उन्होंने पंजाब में आतंकवादी चरण के दौरान साल से अधिक समय तक लुधियाना, जालंधर और होशियारपुर जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (जिला पुलिस प्रमुख) के रूप में कार्य किया। उन्होंने 2004 तक डीआइजी (जालंधर रेंज), डीआइजी (लुधियाना रेंज), डीआइजी (काउंटर-इंटेलिजेंस) और डीआइजी (इंटेलिजेंस) के रूप में भी काम किया।
पंजाब में आतंकवादी चरण के दौरान सात साल से अधिक समय तक उन्होंने जालंधर और होशियारपुर जिले कार्य किया। उन्होंने 2004 तक डीआइजी (जालंधर रेंज), डीआइजी (लुधियाना रेंज), डीआइजी (काउंटर-इंटेलिजेंस) और डीआइजी (इंटेलिजेंस) के रूप में भी काम किया।
वह पंजाब में 2015 में एडीजीपी (एडमिनिस्ट्रेशन एंड कम्युनिटी पुलिसिंग) पद पर रहे। इसके अलावा वह 2014 से 2015 तक एडीजीपी (प्रोविजनिंग एंड मॉडर्नाइजेशन), 2012 से 2014 एडीजीपी (लॉ एंड ऑर्डर), एडीजीपी (सिक्योरिटी) एडीजीपी (ट्रैफिक) जैसे दायित्व संभाले
दिनकर गुप्ता को असाधारण साहस, विशिष्ट वीरता और उच्च आदेश के कर्तव्य के प्रति समर्पण के प्रदर्शन के लिए गैलेंट्री पुलिस पदक (1992) और बार टू पुलिस पदक से सम्मानित किया जा चुका है। उनको राष्ट्रपति पुलिस पदक और विशिष्ट सेवा के लिए पुलिस मेडल फॉर मेरिटोरियस सर्विसेज से भी नवाजा जा चुका है।
दिनकर गुप्ता अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय और अमेरिकी विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर (2000-01) भी रह चुके हैं। वहां उन्हें ‘सीज के तहत सरकारें: आतंकवाद और आतंकवाद को समझें’ शीर्षक से एक पाठ्यक्रम डिजाइन और सिखाने के लिए आमंत्रित किया गया था। उनको 1999 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में लीडरशिप एंड एक्सीलेंस के तहत 10 सप्ताह के गुरुकुल कार्यक्रम में भाग लेने के लिए ब्रिटिश शेवनिंग गुरुकुल छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया था।
उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय पुलिस बलों के साथ प्रशिक्षण प्राप्त किया। इनमें स्कॉटलैंड यार्ड, लंदन और न्यूयॉर्क पुलिस विभाग शामिल हैं। उन्होंने प्रमुख अमेरिकी थिंक टैंक और विश्वविद्यालयों में भी व्याख्यान दिए हैं। उन्होंने 1996 में इंटरपोल द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर संगोष्ठी में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने क्राउन अभियोजन सेवा के अनुरोध पर नवंबर 1997 में एक ब्रिटिश द्वारा किए गए दोहरे हत्याकांड के मामले में भारतीय आपराधिक कानून के विशेषज्ञ के रूप में ब्रिटेन का दौरा किया।
आई पी एस दिनकर गुप्ता
पंजाब सरकार ने तीन अलग-अलग सूचियां यूपीएससी को भेजी थीं। इनमें एक सूची वह थी जिसमें 1987 बैच तक के सभी सीनियर अधिकारियों के नाम थे। ये सभी वे अधिकारी हैं जिनके सेवाकाल में 30 साल हो चुके हैं। दूसरी सूची में उन पांच अधिकारियों के नाम थे जिनके सेवाकाल में दो साल का समय बाकी है। इसके अलावा एक अन्य सूची ऐसी भी गई थी जिसमें उन अधिकारियों के नाम थे जो डीजीपी तो हैं लेकिन उनके सेवाकाल में दो साल से कम समय रहता है। श्री दिनकर गुप्ता की कमांड में पुलिस का मनोबल और भी मज़बूत होगा।