पटियाला प्रशासन ने दिया लोगों को 5 लाख रुपये में 125 फुट का लोहे का डंडा गिफ्ट
पटियाला निवासियों को प्रशासन ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण और उम्दा तोहफा दिया है .
यह ऐसा तोह्फा है जिससे पटियाला के हर नागरिक की गर्दन अपने आप ऊंची हो जाती है क्योंकि इस तोहफे को देखने के लिए आसमान की तरफ नजर दौड़ानी पड़ती है , यह तोहफा है 15 लाख रुपए का एक डंडा . आश्चर्यचकित कर देने वाले , वास्तुकला के इस यादगारी नमूने को देखकर लोगों की ऑंखें और मुंह खुला का खुला रह जाता है . इस डंडे की खासियत यह है कि यह स्टील का बना हुआ है . वैसे तो इस डंडे को तिरंगा फहराने के लिए बनवाया गया था और राजेंद्र लेक में महात्मा गांधी जी के पुतले के बराबर गाड़ दिया गया था . इस पर लाइट और फूल वगैरा भी लगाए गए थे लेकिन कुछ देर इस पर लंबा-चौड़ा तिरंगा झंडा फहराने के बाद प्रशासन ने शायद सोचा होगा कि तिरंगा फहराने से इस 125 फुट लंबे विशाल डंडे की अपनी अहमियत कम हो रही है इसलिए शायद प्रशासन ने इस पर झंडा फहराना बंद कर दिया .अब दिल्ली की कुतुब मीनार की तरह 125 फुट का ये दर्शनी लोहे का डंडा पटियाला की शान का नमूना बन गया है . पटियाला में श्री काली देवी माता के मंदिर में जब लोग माथा टेकने जाते हैं और इस 125 फुट के डंडे को जब वह गर्दन ऊंची करके देखते हैं तो कई लोगों की सर्वाइकल वगैरा या रीड की हड्डी में दर्द की समस्या भी अपने आप हल होने की संभावना पैदा हो जाती है .लोगों की आंखों के आकर्षण का केंद्र बन चुका 125 फुट का ये नायाब डंडा भारतीय शिल्पकारों द्वारा रचित दुर्लभ कलाकृति का एक उम्दा नमूना है और पंजाब के अन्य शहरों के अलावा देश के बाकी राज्यों और विदेशों में भी लोकप्रियता का कारण बन रहा है. कई लोग सोच रहे हैं कि भारत का वीजा लगवा कर पटियाला में लगे हुए इस 125 फुट के चमत्कारी डंडे के दर्शन करके आएं और अपना जन्म सफल बनाएं . कई धार्मिक लोग स्कीम बना रहे हैं कि ज्योतिषियों की सलाह लेकर इस लोहदंड को सरसों का तेल और सिंदूर बगैरा भी लगाया जाए और गुड़ चावलों और गुलाब जल से पूजा जाये क्योंकि कई समाचार पत्रों में तांत्रिक ऐड देते हैं कि आपकी समस्याओं का समाधान करेंगे और जब लोग उनके पास समस्याओं के समाधान के लिए जाते हैं तो उनको सलाह देते हैं कि किसी लोहे के डंडे पर सरसों का तेल हल्दी या सिंदूर बगैरा लगाया जाए और लाल रंग की मौली बांधी जाये लेकिन ऐसे उपायों के लिए आम लोगों को लोहे का डंडा ढूंढने में बड़ी परेशानी होती थी परन्तु अब इस 125 फुट के लोहे के डंडे को पाकर लोग धन्य धन्य हो गये हैं और प्रशासन का गुणगान करते हुए जयकारे लगा रहे हैं। कुछ जानकार लोगों का और वास्तु शास्त्र के महारथियों का यह भी कहना है 125 फुट का स्टील का डंडा तड़ित चालक के तौर पर भी काम करता है और इस झंडे के लगाने से पटियाले के ऊपर आसमानी बिजली के गिरने का खतरा भी कम हो गया है . यह डंडा माल रोड के बिलकुल नजदीक है और यहां से अक्सर तरह-तरह के अधिकारियों, विधायकों, मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों, मेंबर पार्लिमेंट और अन्य राजनीतिक नेताओं के काफिले भी गुजरते हैं जिनका सीना 125 फुट लंबे इस अदभुत डंडे को देखकर गर्व से छप्पन इंची चौड़ा हो जाता होगा. यह जगविदित सच्चाई है कि जिसका डंडा जितना बड़ा होता है वो उतना ही ज्यादा ताकतवर होता है लिहाजा इस प्रिंसली सिटी के लोग बहुत ही खुशनसीब हैं जिनको प्रशासन ने ताकतवर बनाने के लिए,पावरफुल बनाने के लिए इतना बड़ा लोहे का डंडा राजेंद्र झील में गाड़ दिया. अब यह लोगों की गलती ही होगी अगर वो नित्य यहां पर ना आकर इस डंडे के दर्शन करने के लाभदायक मौके से वंचित हो जाएँ . बुद्धिजीवियों का यह भी विचार है कि धीरे धीरे इस डंडे की अहमियत और भी बढ़ेगी और जैसे धार्मिक स्थानों के आगे दर्शनों के लिए भक्तों की भीड़ लगती है वैसे ही जनता जनार्दन की भीड़ डंडा दर्शन हेतु और भी बढ़ सकती है और अगर प्रशासन इस गुणकारी डंडे का पूरी तरह से प्रचार करें तो बाहर के देशों से विजिट करने के लिए टूरिस्ट भी आ सकते हैं और और जैसे कुतुब मीनार , अजन्ता एलोरा की गुफाओं , पीसा की मीनार , इंडिया गेट, ताजमहल इत्यादि के दर्शन करने लोग आते हैं उसी तरह इस लोहदंड का अवलोकन करने भारी मात्रा में लोग आ सकते हैं और प्रति व्यक्ति 25 रूपये डंडा दर्शन शुल्क लगाकर अगर टिकट जारी कर दी जाए, जैसे अप्पू घर में दिल्ली में जारी की जाती है तो उससे प्रशासन को बहुत ज्यादा आमदनी हो सकती हैं जो पटियाला की सड़कों पर पड़े हुए गड्ढे पाटने के काम में लाई जा सकती है और पटियाला की सड़कों पर घूम रहे आवारा पशुओं को कंट्रोल करने में इस डंडा दर्शन शुल्क की राशी यूज की जा सकती है जिससे सडक दुर्घटनायों का खतरा भी कम होगा . इस तरह यह डंडा हर तरह से लाभदायक सिद्ध हो सकता है, अब यह देखना प्रशासन का काम है कि डंडे का उपयोग किस तरह किया जाए और लोगों को इस 125 फुट के लोहे के बांस के इस्तेमाल की विधियां किस तरह बताई जाएँ .