पटियाला में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन-महिला अधिकारीयों ने किया शुभारम्भ
प्रेस क्लब पटियाला और इंटरनेश्नल ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन ने साल 2019 को महिलाओं को समर्पित वर्ष घोषित किया है . इस सिलसिले में समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत माननीय महिलायों के योगदान को दर्शाते हुए इंटरनेश्नल ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन के महिला विंग की सचिव अनु शर्मा द्वारा इस कैलंडर की रूप रेखा तैयार की गई .प्रेस क्लब पटियाला और इंटरनेश्नल ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन की तरफ से महिला दिवस के अवसर पर पंजाब की अग्रणी वीरांगनाओं को समर्पित कैलेंडर का विमोचन हिंदुस्तान में पंजाब के सी एम् सिटी पटियाला के महिला आई ए एस और आई पी एस अधिकारीयों द्वारा किया गया . अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इस महत्वपूर्ण पर्व के अवसर पर पटियाला के ए डी सी सुश्री इनायत (आई ए एस) और पटियाला के एस पी मुख्यालय सुश्री डाक्टर रवजोत ग्रेवाल आई पी एस के कर कमलों द्वारा किया गया . इस मौके प्रेस क्लब पटियाला के अध्यक्ष परवीन कोमल ने इन महिला उच्च अधिकारीयों द्वारा समाज के प्रति निभाई जा रही जिम्मेवारियों का सम्मान करते हुए उनका आभार व्यक्त किया.
आइये आपको महिला दिवस से परिचित करवाते हैं .
आज यानी 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है। एक ऐसा दिन जब महिलाएं अपनी आजादी का जश्न खुलकर मनाती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिला दिवस 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है? कब से इसकी शुरुआत हुई? क्या हैं इससे जुड़ी अन्य खास बातें? आइए आपको बताते हैं:
दरअसल साल 1908 में एक महिला मजदूर आंदोलन की वजह से महिला दिवस मनाने की परंपरा की शुरूआत हुई। इस दिन 15 हज़ार महिलाओं ने नौकरी के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और कुछ अन्य अधिकारों की मांग को लेकर न्यूयार्क शहर में प्रदर्शन किया। एक साल बाद सोशलिस्ट पार्टी ऑफ़ अमेरिका ने इस दिन को पहला राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित किया। 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं का एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन हुआ, जिसमें इस दिन को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मनाने का सुझाव दिया गया और धीरे धीरे यह दिन दुनिया भर में अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में लोकप्रिय होने लगा। इस दिन को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मान्यता 1975 में मिली, जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे एक थीम के साथ मनाने की शुरूआत की।
महिला दिवस से जुड़े रोचक किस्से
1- सबसे पहले महिला दिवस साल 1909 में अमेरिका में मनाया गया था।
2- 1917 में रूसी महिलाओं ने पहले विश्व युद्ध के प्रति विरोध जताकर महिला दिवस मनाया था। उस वक्त रूस के नेता ज़ार निकोलस II ने पेट्रोग्रेड मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के जनरल खाबलो को निर्देश दिया कि वह जारी विरोध-प्रदर्शन को रुकवाएं और जो भी महिला इसका विरोध करे उसे गोली मार दें। लेकिन इस धमकी से कोई भी महिला नहीं डरी और हर मुसीबत का डटकर सामना किया। इन महिलाओं की अदम्य साहस से पस्त होकर रूसी नेता ज़ार को अपने हथियार डालने पड़े और उन्होंने सत्ता त्याग दी।
3- वहीं यूनाइटेड नेशन्स ने आधिकारिक तौर पर, 8 मार्च, 1975 को पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था।
4- आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिलाओं को छुट्टी दी जाती है। अफगानिस्तान, क्यूबा, वियतनाम, युगांडा, कंबोडिया, रूस, बेलरूस और यूक्रेन कुछ ऐसे देश हैं जहां 8 मार्च को आधिकारिक छुट्टी होती है।
अब बात करें भारत में महिला अधिकारों की
संविधान हर एक नागरिक को चाहे वह पुरुष हो या महिला हो समानता का अधिकार प्रदान करता है। वहीं अगर महिलाओं की बात आए तो उन्हें कई खास अधिकार भी दिए गए हैं। इसलिए अब महिलाओं के साथ भेदभाव के मामलों के खिलाफ भी कानून हैं, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, शोषण और शारीरिक शोषण के लिए भी कानून भी बनाए गए हैं। यहां हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे कानून और अधिकारों के बारे में जिनसे सभी महिलाएं शायद अवगत ना हों लेकिन आपको उनकी जानकारी जरूर होनी चाहिए।
अपने पसंद की शादी
हर वो लड़की जो 18 साल से अधिक उम्र की है उसे अपनी पसंद के लड़के से शादी करने का पूरा अधिकार है। एक मान्य शादी के लिए लड़की की सहमति का होना बेहद मायने रखता है। किसी को भी उसकी इच्छा के अनुसार शादी करने का दबाव बनाने का अधिकार नहीं है।
एक से अधिक शादी
भारतीय संविधानिक कानून के मुताबिक एक महिला के पति को पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करने का अधिकार नहीं है। अगर पहली पत्नी के रहते वह दूसरी शादी करता है तो वह सजा का पात्र है।
NO कहने का पूरा अधिकार
हर लड़की का अपने शरीर पर पूरा अधिकार होता है। और उसकी इच्छा के बिना कोई भी उसके साथ शरीरिक संबंध नहीं बना सकता है। अगर शादी के बाद भी पति उसकी इच्छा के खिलाफ उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता तो ऐसे में वह भी कानून की नजर में दोषी है। डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट 2005 के तहत धारा 18 उसे दोषी करार देती है। अगर कोई महिला घरेलु हिंसा का शिकार होती है तो वह उसके खिलाफ आवाज उठा सकती है।
शादी से नाखुश तो ये अधिकार
अगर कोई महिला अपनी शादी से खुश नहीं है और वह शादी से अलग होना चाहती हैतो उसे अपने पति को तलाक देने का पूरा हक है। अगर किसी लड़की की 15 साल में शादी कर दी जाती है तो उसे अपनी सुरक्षा को लेकर कुछ खास अधिकार दिए गए हैं।
निजी सुरक्षा का अधिकार
अपनी सुरक्षा करने के लिए हर युवती और लड़की को बलपूर्वक अपनी रक्षा करने का अधिकार है। रेप, अप्राकृतिक सेक्स, किडनैपिंग के खिलाफ भी यहां महिलाओं को आवाज उठाने का पूरा हक है और वे इसके खिलाफ अपनी इच्छानुसार कदम उठा सकती है। अगर कोई उनका पीछा कर रहा है तो आप उसे आईपीसी की धारा 354डी के तहत कानून के दायरे में खड़ा कर सकती हैं। इसके अलावा अगर आपकी सहमति के बिना छुप छुपाके आपके साथ गलत कर रहा है तो आप उसे आईपीसी की धारा 354सी के खिलाफ सजा दिलवा सकती हैं।
वर्कप्लेस पर हैं ये अधिकार
वर्प्ललेस पर महिला कर्मचारियों को बाकी मेल कर्मचारियों के बराबर का वेतन पाने का अधिकार है। इसके अलावा प्रेग्नेंट महिलाओं को 26 सप्ताह का मैटरनिटि लीव पाने का भी स्पेशल अधिकार है। यह सरकारी और निजी दोनों तरह के वर्कप्लेस पर समान अधिकार का प्रावधान है।
गोद लेने का अधिकार
कोई महिला सिंगल है या मैरिड, उसे अपनी इच्छानुसार बच्चा गोद लेने का भी पूरा अधिकार है यहां शर्त ये है कि महिला की उम्र 21 वर्ष या उससे अधिक होनी चाहिए। इसके अलाला ये भी प्रावधान है कि बच्चे की उम्र 3 महीने तक होनी चाहिए।
ये कानूनी अधिकार
सभी महिलाओं को उनकी इनकम के आधार के बिना ही उन्हें कानूनी सहायता पाने का पूरा अधिकार है। इसके अलावा उन्हें एफआईआर दर्ज करवाने की भी पूरा पूरा अधिकार है। अगर कोई पुलिस पीड़ित महिला का एफआईआर दर्ज करने से मना कर देता है तो वह आईपीसी की धारा 166 ए के तहत कानून का मुजरिम है। किसी भी महिला को रात में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। भारतीय संविधानिक कानून इसकी इजाजत नहीं देता है।