आई पी एस हरप्रीत सिंह सिद्धू कस सकते हैं पंजाब में नशा तस्करों की नकेल

Report : Parveen Komal 9876442643

चंडीगढ़ ( परवीन कोमल ) पंजाब के आम नागरिक आई पी एस अधिकारी श्री हरप्रीत सिंह सिद्धू को दोबारा नशा विरोधी मुहिम की कमान सौंपने की मांग करने लगे हैं। काबिल के ज़िक्र है कि पंजाब में तेजी से बढ़ रहे नशे के कारोबार पर नाखुशी जाहिर करते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य के शिक्षण संस्थानों में कारोबार फैल रहा है। स्टूडेंट्स ड्रग्स ले रहे हैं और पुलिस ड्रग माफिया को पकड़ने में नाकाम है।
जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस हरिंदर सिंह सिद्धू की खंडपीठ ने राज्य के डीजीपी को इस मामले में गठित स्पेशल टास्क फोर्स का नए सिरे से गठन करने का निर्देश दिया है। साथ ही सभी शिक्षण संस्थानों के आसपास पुलिस को सिविल ड्रेस में तैनात कर सप्लायर्स और ड्रग माफिया की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने को कहा है।

गौरतलब है कि पंजाब में एंटी ड्रग टास्क फोर्स के पूर्व प्रभारी आई पी एस अधिकारी श्री हरप्रीत सिंह सिद्धू ने नशा तस्करों को नकेल पाने में सफलता हासिल कर ली थी लेकिन दुर्भाग्यवश उन्हें टास्क फोर्स से हटा कर नशा विरोधी अभियान ठुस कर दिया गया।

नारकोटिक्स ड्रग्स से निपटने के लिए पंजाब के सी.एम. कैप्टन अमरेंद्र सिंह द्वारा एस.टी.एफ. का इंचार्ज चुने जाने के बाद आई.पी.एस. हरप्रीत सिंह सिद्धूू ने नशे के सौदागरों के खिलाफ प्रभावशाली कार्रवाई शुरू कर दी थी और पुलिस के अधिकारियों को नशा तस्करों का मटियामेट करने का तरीको पर काम करने के लिए काफी टिप्स भी दिए थे। नशा तस्करों को पकड़ने से लेकर उन्हें सजा दिलाने पर विचार-विमर्श किये जाने लगे थे। नशे के बड़े सौदागरों पर हाथ डालने की योजनाओं का खाका तैयार होने लगा था ।
1992 बैच के आई.पी.एस. हरप्रीत सिंह सिद्धूू काफी तेजतर्रार हैं। वह छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सी.आर.पी.एफ. डैपुटेशन पर गए थे जहां शानदार सेवाएं देने पर 2003 में उन्हें राष्ट्रपति मैडल से नवाजा गया था। जैसे ही कांग्रेस की सरकार आई तो आई.पी.एस. हरप्रीत सिंह सिद्ध को नशे का खात्मा करने के लिए एस.टी.एफ. का इंचार्ज चुना गया था। सी.एम. कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने उन्हें खुले हाथ काम करने के आदेश दिए थे कहा था कि हर हालत में नशे का खात्मा किया जाए।

इसको लेकर आई.पी.एस. हरप्रीत सिंह सिद्धूू ने हर जिले में जाकर पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक करके नशे को खत्म करने व बड़े से लेकर छोटे नशा तस्करों को जेल पहुंचाने के लिए टिप्स दी थी। आपको बता दें कि सिद्धू पंजाब के वह आईपीएस अफसर हैं जिन्होंने पंजाब पुलिस के जवानों को मानवता का पाठ पढ़ाते हुए फोन पर बातचीत करते समय श्रीमान जी कहने का अभियान शुरू करवाया था। अब सिद्धू को बड़ी जिम्मेदारी देने के नाम पर ये पहला मौका है, जब पंजाब सरकार ने किसी आइपीएस अफसर को मुख्यमंत्री का वरिष्ठ प्रमुख सचिव तैनात किया है। वरिष्ठ अधिकारियों की राय में सरकार ने एक तीर से कई निशाने साध लिए। सिद्धू को हटाकर नशे को लेकर कठघरे में खड़ी पुलिस को सरकार ने राहत दी । सिद्धू ने नशे के खात्मे के लिए काफी कवायद की थी। उनकी पावर बढ़ाकर उन्हें सरहदी इलाकों का प्रभार भी सौंपा गया था। इसके बाद से ही डीजीपी सुरेश अरोड़ा व सिद्धू की लॉबी के बीच शीत युद्ध शुरू हो गया था। ये विवाद लंबे समय से चल रहा था। मोगा के पूर्व एसएसपी राजजीत सिंह व पूर्व इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह के नशे के सौदागरों से कनेक्शन को लॉकर भी डीजीपी अरोड़ा, डीजीपी (इंटेलीजेंस) दिनकर गुप्ता व डीजीपी (एचआरडी) एस. चट्टोपाध्याय में लंबे समय तक तनातनी चली। हाईकोर्ट में अभी एसटीएफ की रिपोर्ट के बाद कारवाई गई जांच रिपोर्ट खोली जानी ही थी कि ये अफवाहें फैलनी शुरू हो गईं कि इस रिपोर्ट के बाद कई बड़े पुलिस अफसरों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है । इन अफवाहों के दौरान ही  सरकार ने एक कर्मठ और दबंग पुलिस अधिकारी हरप्रीत सिंह सिद्धू को बदल डाला । लोग अब भी पूछते हैं , आखिर क्यों ?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *