बेअदबी झड़प में काट डाले गए पुलिस कर्मचारी-न सरकार ने सुध ली न कमीशन ने

किरपानों से बुरी तरह काटे गए हेडकांस्टेबल को विभाग और दोनों सरकारों ने अपने हाल पर छोड़ दिया था।

बदतर जिंदगी जी रहा था, 31 को कर दिया रिटायर

श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के बाद 2015 में कोटकपूरा चौक में पंथक जत्थेबंदियां और पुलिस के बीच हुए टकराव का एक पहलू आज तक अछूता है और वो है इस टकराव में बुरी तरह घायल हुए पुलिस मुलाजिम जिनका न तो सरकारों ने हाल पूछा और न ही उनके अपने पुलिस विभाग ने सुध ली है।

ये पुलिस मुलाजम लाचारी और गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं। इनमें एक अहम नाम है हेडकांस्टेबल रछपाल सिंह का जो कोटकपूरा भीड़ द्वारा किए गए हमले के बाद चलने-फिरने और बोलने से भी मोहताज हो चुका रछपाल का दर्द यहीं खत्म नहीं होता। 31 अक्टूबर को वह गंभीर हालत में ही बिना बैंड बाजे के रिटायर हो गया।

हैरानी की बात तो यह है कि न तो जस्टिस जोरा सिंह कमिशन और न ही जस्टिस रणजीत सिंह कमिशन ने यह जानने की कोशिश की कि आखिर रछपाल सिंह इस हालत में पहुंचा कैसे? हालांकि एसआईटी ने इन घायल पुलिस कर्मियों से पूछताछ की है।

 बता दें कि कोटकपूरा और बहबलकलां में 40 से ज्यादा पुलिस मुलाजिम घायल हुए थे। इनमें रछपाल सिंह के अलावा अश्विनी कुमार मौत के मुंह से तो बच गए लेकिन उनके असल हालात जिंदगी से भी बदतर हो चुके हैं।  कोटकपूरा में ही अश्विनी कुमार के पेट में कोटकपूरा में किसी ने बरछा मार दिया और उसकी सारी पेट की आंते बाहर आ गईं और उसके अब तक दो आप्रेशन हो चुके हैं।

खोपड़ी का एक भाग निकाला जा चुका, अधरंग के कारण न चल और न बोल पाता :

होशियारपुर जिले के मुकेरियां तहसील के अंतर्गत और हिमाचल से सटे गांव टांडा चूड़ियां के रहने वाले रछपाल सिंह व्हीलचेयर पर ही घर में ही घूमते हैं। वह यह नहीं बता सकते कि उनकी ऐसी हालत कैसे हो गई। असल में रछपाल सिंह पीएपी की 13 बटालियन चंडीगढ़ में हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात थे और वह घर से 12 अक्टूबर 2015 को ड्यूटी पर चंडीगढ़ गए थे।

वहां पहुंचते ही उन्हें कोटकपूरा भेज दिया गया और 14 अक्टूबर 2015 की सुबह पुलिस और पंथक जत्थेबंदियों में हिंसक झड़प हो गई। उस झड़प में रछपाल सिंह पर किरपानों से हमला किया गया जिसमें उनके सिर और दोनों टांगों पर गंभीर चोटें आई थीं। भास्कर से बात करते हुए रछपाल सिंह की मां गुरनाम कौर ने बताया,‘हमें 15 अक्टूबर 2015 को उसके जख्मी होने की खबर मिली।

वह फरीदकोट के अस्पताल में एक महीने से ज्यादा दिन दाखिल रहा लेकिन इसी बीच सिर में ज्यादा गहरी चोट लगने की वजह से उसे दौरे पड़ने शुरू हो गए और करीब डेढ़ साल पहले इसे अधरंग का अटैक हो गया जिसकी वजह से इसके शरीर का एक हिस्से ने काम करना बंद कर दिया और इसकी जुबान भी बंद हो गई और वह चलने-फिरने में असमर्थ हो गया।

उन्होंने बताया कि पुलिस विभाग ने मदद तो क्या करनी, जब रछपाल को अटैक आया तो उस समय इसके शरीर में सेल की कमी हो गई और उसे खून की जरूरत पड़ी। जब इसके लिए उन्होंने बटालियन से मदद मांगी लेकिन वहां से एक बूंद खून भी नहीं मिला। रछपाल के इलाज पर आज तक 7 लाख रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं जबकि विभाग ने एक पैसे की भी मदद नहीं की है और हालात इतने बदतर हैं कि रछपाल सिंह की खोपड़ी का एक हिस्सा भी निकाल दिया गया है।  शायद इस वजह से रछपाल सिंह दिमागी तौर पर भी ठीक नहीं हैं और वह जल्द उग्र हो जाते हैं।

दो लोग हमेशा रहते हैं साथ : 

फौज से रिटायर्ड रछपाल सिंह के भाई मुख्तयार सिंह ने बताया कि रछपाल को  हर समय दो लोगों की जरूरत रहती है। उसकी पत्नी निर्मल कौर और मां गुरनाम कौर और 8वीं कक्षा में पढ़ने वाली इसकी इकलौती बेटी नवप्रीत कौर रहती हैं। उन्होंने बताया कि वह ड्यूटी पर नहीं जा सकता था तो विभाग हर महीने इसका मेडिकल सर्टिफिकेट मांगता, इसलिए 60 किलोमीटर दूर होशियारपुर जाकर हर महीने सर्टीफिकेट बनवाना पड़ता था।

उन्होंने बताया कि करीब 4-5 दिन पहले बटालियन के लोग आए थे और रिटायरमेंट के कागजों पर अंगूठा लगवाकर कह गए कि उसे 31  अक्टूबर को रिटायर कर दिया जाएगा। आम तौर पर कोई भी मुलाजिम रिटायर होता है तो उसे बैंड बाजे से विदा किया जाता है लेकिन उसकी किस्मत में एेसे सुखद पल नहीं थे।

केस दर्ज हुए पर कार्रवाई किसी सरकार ने नहीं की :

उस समय पुलिस ने इन सारी तमाम घटनाओं के मामले तो दर्ज किए लेकिन खराब हुए हालात की वजह से अकाली भाजपा सरकार पंथक जत्थेबंदियों के दबाव में आ गई और सुखबीर सिंह बादल ने यह एेलान कर दिया कि इन एफआईआर पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसी तरह कांग्रेस सरकार ने भी इन्हें नजरंदाज कर दिया। कांग्रेस ने बहबलकलां के दो मृतकों के परिवारों को एक-एक करोड़ रुपया दिया और दो घायलों को 60-60 लाख रुपए दे दिए लेकिन पुलिस मुलाजिमों बिल्कुल नजरंदाज कर दिया गया।

पंथक नेताओं पर हो सकती है अब कार्रवाई :
एसआईटी ने इन तमाम घायल पुलिस वालों के बयान दर्ज कर लिए हैं। एसआईटी के से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पता चला है कि एसआईटी ने उन पंथक लीडरों पर दर्ज हुई तमाम एफआईआर की भी जांच शुरू कर दी है। एेसे में पंथक नेताओं की आने वाले दिनों में मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि 6 से लेकर 8 एेसे मुलाजिम हैंं जिनकी चोटों को मेडिकल रिपोर्टों में डेंजर टू लाइफ घोषित किया गया है। एसआईटी के मेंबर आईजी कंवर विजय प्रताप सिंह ने बताया कि हर पहलू की गहराई से जांच की जा रही है और सच को सामने लाया जाएगा
इसी दौरान हाईकोर्ट में कोटकपूरा और बहबलकलां कांड में पुलिस अधिकारियों की ओर से 2 अहम रिट पिटिशन पर सुनवाई होनी है। एक मेंं जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की गई है और दूसरी में विधानसभा के उस प्रस्ताव को चैलेंज किया गया है जिसके तहत केस की जांच सीबीआई से लेकर एसआईटी को सौंपी गई है।

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